ज्योतिषाचार्य पं. मिश्रा ने कहा कि ईशान संहिता ग्रंथ में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मध्य रात्रि में भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी। इसलिए महाशिवरात्रि पर्व को भगवान शिव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और शिवलिंग की पूजा की जाती है।
माघकृष्ण चतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि
शिवलिंगतयोद्रूत: कोटिसूर्यसमप्रभ॥